शनिवार, 14 मार्च 2015


मैं कोशिश लाख करता हूँ, मगर नाकाम रहता हूँ,
मेरा सैयाद कहता है, मैं कोशिश ही नहीं करता!!



कभी सोचा भी नहीं था, वो फिर मिलेगा और
थाम कर हाथ साथ-साथ चलेगा मीलों!!




शोहरत के लिए बाप ने बेटी परोस दी!
मैं अब तलक हैरान हूँ, अखबार देखकर!!


इस अंजुमन में इल्म का सम्मान नहीं है,
सम्मान मिले है यहाँ दस्तार देखकर!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें