शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

मेरा कसूर !

बधाई हो, लड़की हुई है!
जैसे ही नर्स ने कहा, बीवी और उसके भाई की आँखों से झरझर आँसू टपकने स्टार्ट हो गये!
पिछले दो दिन कुछ ज्यादा ही भागदौड़ भरे हुए रहे !बीवी के भाई की पत्नी अर्थात मेरी सलहज अस्पताल में भर्ती थी!
प्रजनन काल का समय बीत जाने के बाद भी जब बच्चा प्राकृतिक रूप से नही हो पाया! तो फिर डाक्टर को सिजेरियन पद्धति से बच्चा पैदा करने का निर्णय लेना पड़ा! होने वाले बच्चे के पिता की गैर हाजिरी में कागजी कार्यवाही की खानापूर्ति भी मुझे ही करनी पड़ी!
यह दूसरा बच्चा है! पहली बेटी है, और ये भी बेटी ही है!
जान पहचान वालों की आवाजाही लगी हुई है! जब बच्ची बड़ी होगी तो इसे इस अस्पताल के मुख्य भवन में लगे CCTV कैमरे की फुटेज निकलवा कर जरूर दिखाना चाहुँगा, ताकि ये भी जान पाये कि यहाँ मेरे अलावा शायद ही किसी और के चेहरे पर रौनक दिखाई दे रही हो!
दुःख है तो सिर्फ इस बात का कि यहाँ उपस्थित जनसमूह में पुरुषों से ज्यादा नकारात्मक बातें महिलायें कर रही है!
वो तो शुक्र है, प्रकृति ने संतानें पैदा करने का कार्य पुरुषों को नहीं सौंपा, अन्यथा फिर तो इन महिलाओं का अपनी ही प्रजाति के प्रति द्वेष देखने लायक होता!
मन तो आज बहुत कुछ लिखने का है लेकिन अभी बच्ची जो मेरी ही गोद में है, उसे संभालना यहाँ लिखने से कहीं ज्यादा जरूरी है!
इसलिए बाकि बातें फिर कभी...
एक और मजेदार बात ये भी है कि यह मेरे द्वारा गोद में आने वाला अब तक का सबसे नवजात शिशु है!

(अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद!) 



शनिवार, 25 अक्तूबर 2014

मैं समय हूँ!

क्यों तुम्हारा तो एक सगा भाई भी था ना?
जैसे ही दूर के रिश्ते की ननद ने अचानक पूँछा, वातावरण के साथ-साथ उनके होठों पर भी एक अज़ीब सी खामोशी छा गई!
पलक झपकते ही सारा घटनाक्रम आँखों के आगे से किसी चलचित्र की तरह गुजर गया!
कुछ जबाव ही नहीं सूझ रहा था, चेहरे को एकटक घूरती ननद की आँखें, उनकी बेचैनी को और बढ़ा रही थीं!
इससे पहले सामने से अगला सवाल दागा जाता, नजरें झुकाकर कुछ ज्यादा ही दबी सी जुबान में उत्तर दिया- हाँ, था तो सही लेकिन पिछले पाँच सालों से उसका कोई अता-पता ही नहीं है !
ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ!
फिर भी आपने कभी उसे खोजने की कोशिश तो की ही होगी, कभी जिज्ञासा नहीं होती यह जानने की, वह कहाँ और किस हाल में है! ननद ने हाथ थामकर, सांत्वना देने का असफल सा प्रयास करते हुए, अगला सवाल दागा!
इस बार शायद उनके पास कोई उत्तर नहीं था, इसलिए बातचीत का रुख मोड़ना ही बेहतर समझा! खाना खाया आपने!
क्या वक्त के आगे वाकई सब कुछ धूमिल पड़ जाता है!
(
बड़ी बहन )