शनिवार, 28 फ़रवरी 2015


जब तलक पेट में रोटी थी, मैं भी खूब उड़ा!

आजकल रोटियों के वास्ते ’पर’ बेच रहा हूँ!!




आज अचानक किसी बात पर, फिर आया वो याद!

नामुमकिन है भूलना, पहला-पहला प्यार!!



सफर में है सफ़ीना जब तलक तू हाथ थामे रख,

मुझे पतवार से ज्यादा भरोसा तुझ पे है साथिन!!



जिन्हें जिम्मा मिला है, ज़ख्म पर मरहम लगाने का,

वो खुद आवाम के जख्मों को ताजा कर रहे है!!


खिलौने तोड़ने की उम्र में, मज़लूम के बच्चे,

खिलौने बेचकर घर का गुजारा कर रहे हैं!



ख़ुदख़ुशी के और भी लाखों तरीक़े थे मगर,

तेरे आगे हाथ फ़ैलाना मुझे अच्छा लगा!!



साजिशें लाखों हुईं उसको बुझाने की मगर,

ओट में उसकी हथेली की दिया जलता रहा!!



ये जो आशाओं के दीपक राजधानी में जले हैं,

है मुझे उम्मीद ये मेरा भी घर रोशन करेंगे!!


चाँद-तारों, फूल-ख़ुशबू में उलझ कर रह गई है,
जो ग़ज़ल, मैं उस ग़ज़ल को, रोटियों तक लाऊंगा!!
हो गई है ग़ुम ग़ज़ल जो हुस्न के बाज़ार में,
उस ग़ज़ल को फिर से घर  की बेटियों तक लाऊँगा!!

गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015


शाम होगी तो फिर सेहन में लौट आयेगा,
मेरा बच्चा अभी बच्चा है, कहाँ जायेगा!!

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

साजिशें लाखों हुईं उसको बुझाने की मगर,

ओट में उसकी हथेली की दिया जलता रहा!!
ध्वनी प्रदूषण पर चर्चा को आयोजित एक अनुष्ठान में,

इतनी बजी तालियाँ मेरा मन मस्तिक तक सुन्न हो गया!!

सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

वह आदमी भी पेड़ की शाखों की तरह था,
हर रोज टूटता रहा, हर रोज फूटता रहा!!   
आदमी में आदमियत की कमी खलती रही,
ज़िन्दगानी का सफ़र बाकी तो गुल गुलशन रहा!! 

मेरी भी मजबूरी है!
सच लिखना बहुत जरूरी है!!
जितनी चादर हो केवल
उतना विस्तार जरूरी है!!
हो आलम जब नादारी का 
गम़गुस्सार जरूरी है!
इतिबार जरूरी है लेकिन,
पहले इकरार जरूरी है !!




शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

मुझको भी तो लिफ्ट करा दे !!

बाबा राम रहीम द्वारा बीजेपी को समर्थन करने के पीछे जो असली मकसद है वह किसी से छुपा नहीं है, जिस प्रकार बाबा रामदेव ​ ने अपने साम्राज्य को बचाने के लिएनरेंदर मोदी ​ का समर्थन किया था, ठीक उसी  प्रकार अब बाबा राम रहीम भी अपनी विवादित फ़िल्म 'मेसेंजर ऑफ गॉड' को रिलीज कराने के लिए बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं!
ज्ञात हो 'मेसेंजर ऑफ गॉड' बाबा राम रहीम द्वारा स्वनिर्मित वह फ़िल्म है, जिसके प्रदर्शन लेकर पंजाब में  बीजेपी की मुख्य सहयोगी पार्टी 'अकाली दल' उग्र विरोध जता चुकी है! वह फ़िल्म  जिसकी वजह से सेंसर बोर्ड के तमाम सदस्यों ने सरकार पर बोर्ड के काम में दखलंदाजी का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफ़ा दिया था और  जिसकी बदौलत लोकसभा चुनाव में 'हर हर मोदी' का नारा देने वाले पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त कर मोदी जी को  उनका तथाकथित क़र्ज़ उतारने का सौभाग्य प्राप्त हुआ!
खैर जो भी हो, जहाँ  बाबा रामदेव ने बीजेपी का समर्थन करके अपने साम्राज्य के साथ साथ अपने लिए भी Z प्लस स्तर की सुरक्षा श्रेणी प्राप्त कर ली, वही निहलानी जी ने सेंसर बोर्ड की अध्यक्षता, इसी श्रृंखला में अब अगला  नम्बर बाबा राम रहीम को अपनी फ़िल्म के प्रदर्शन की अनुमति मिलने का है!
आज दिल्ली विधानसभा की इस पूर्व संध्या पर काश  'बापू आसाराम' और 'रामपाल बाबा' भी अपने समर्थकों से बीजेपी के पक्ष में मतदान करने की अपील जारी कर देते तो शायद, उन्हें भी जमानत मिल ही जाती!
बाकी सब तो ठीक है लेकिन मेरी व्यक्तिगत शिकायत ये है,  कैसे भगवान हो जो अपने भक्तों के  सामने आये दिन एक नई समस्या खड़ी कर देते हो! अब परसों तक जो भक्त जिन 'बाबा जी' को अपनी  गलियों से नवाजते थे, अब  उन्ही बाबाजी के ठुल्लू के आगे नतमस्तक होने को विवश और  आतुर दिख रहे हैं!  


सोमवार, 2 फ़रवरी 2015


मेरे आँगन में अभी एक शज़र पुराना है!
उसी के वास्ते घर लौट करके जाना है!!
मेरा वज़ूद नापने चला है वो सूरज,
शाम ढलते ही जिसे फिर से डूब जाना है!!
मुझको उम्मीद है आखीर में दगा देंगे,
मैंने जिनको भी यहाँ हमनशीन माना है!!
जब तलक़ जान है पंखों में उसको उड़ने दो,
रात होते ही परिंदों को लौट आना है!!  
खायेगा ठोकरें तो खुद ही संभल जायेगा,
नशा एक रोज़ खुद-ब-खुद ही उतर जाना है!!
अपनी चाहत पे भरोसा यूँ ही कायम रखिये,
उसको आखिर में एक रोज़ लौट आना है!!