शुक्रवार, 30 मई 2014

मैं, और मेरा ज़ूज़ू..!!


मेरे ज़ूज़ू .!
क़ाश,
कि मैं और तुम,
कभी इस जगह पर आयें,
और,
ज्यों ही लूँ,
मैं  तुम्हें अपने आगोश में.
सूरज का रथ,
और,
वक़्त के पहिये
दोनों,
हमेशा हमेशा के लिये
थम  जायें....!! 

कासे कहूँ .!


"खुदा तो मुसलमान है साहेब,  मेरी तो राम भी नहीं सुनता..!!" 

गुरुवार, 29 मई 2014